Income Tax Filing, ITR Filing FY 2024-25: इनकम टैक्स विभाग ने टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन्हीं में से एक है – प्री-फिल्ड ITR फॉर्म्स। अगर आपने पहले कभी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया है, तो आपने देखा होगा कि कुछ सालों से फॉर्म पहले से ही कुछ जानकारियों के साथ भरे हुए आते हैं।
इस सुविधा का मकसद है टैक्सपेयर्स की गलती की संभावना कम करना, समय पर रिटर्न फाइल करने को बढ़ावा देना और दस्तावेज़ी झंझट को कम करना।
कैसे बदली है ITR फाइलिंग की प्रक्रिया?
पिछले कुछ वर्षों में, इनकम टैक्स रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरने की प्रक्रिया में कई सुधार हुए हैं। CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) हर साल नए-नए फीचर्स जोड़ता है ताकि टैक्स भरना और आसान हो जाए, सरकार को रेवेन्यू लॉस से बचाया जा सके और टैक्सपेयर्स की पूरी कमाई का सही-सही हिसाब मिल सके।
BDO इंडिया की टैक्स एक्सपर्ट प्रीति शर्मा के मुताबिक, सरकार का लक्ष्य है कि ITR फॉर्म पूरी तरह से अपने आप भरे हुए आएं और टैक्सपेयर को बस जानकारी की पुष्टि करनी हो।
इसके लिए सरकार ने टेक्नोलॉजी में काफी निवेश किया है और कई संस्थाओं को CBDT के साथ डेटा शेयर करने का निर्देश दिया है।
अब तक ITR फॉर्म में कौन-कौन सी जानकारी पहले से भरी आती थी?
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पर्सनल जानकारी – जैसे नाम, PAN नंबर, जन्मतिथि, पता आदि
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आय की जानकारी:
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सैलरी – एम्प्लॉयर द्वारा दी गई फॉर्म-16 के जरिए
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बैंक ब्याज – बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की रिपोर्ट से
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डिविडेंड – कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की रिपोर्ट से
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टैक्स भुगतान की डिटेल्स – जैसे TDS, TCS और एडवांस टैक्स
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जमीन/प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त – अब इनका रिकॉर्ड भी टैक्स विभाग के पास होता है
किन ITR फॉर्म्स के लिए सुविधा शुरू हो चुकी है?
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ITR-1 (सहज): सामान्य व्यक्तियों और HUF के लिए
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ITR-4: व्यापार या प्रोफेशनल इनकम वालों के लिए (प्रेसम्प्टिव स्कीम के तहत)
जल्द ही आने वाले अपडेटेड फॉर्म्स – ITR-2 और ITR-3 में क्या होगा नया?
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कैपिटल गेन की डिटेल्स – शेयर/ब्रोकर की रिपोर्ट के अनुसार एक-एक स्टॉक के हिसाब से जानकारी
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डिडक्शन की जानकारी – जैसे धारा 80C आदि की जानकारी एम्प्लॉयर द्वारा दी गई
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सभी बैंक अकाउंट्स की जानकारी – जो PAN और आधार से लिंक हैं
प्री-फिल्ड ITR फॉर्म्स के फायदे क्या हैं?
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टैक्स भरने में मेहनत और गलतियां दोनों कम होती हैं
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सभी इनकम का खुलासा आसानी से होता है
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पुरानी रिटर्न की जानकारी आसानी से मिल जाती है, जिससे तुलना करना या पुराना घाटा आगे ले जाना आसान होता है
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गलत जानकारी से जुड़े विवाद कम होते हैं
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साधारण मामलों में टैक्सपेयर्स को एक्सपर्ट्स की जरूरत नहीं पड़ती – खुद ही रिटर्न फाइल करना आसान हो जाता है
ऐसे में, प्री-फिल्ड ITR फॉर्म्स से टैक्स भरना पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो गया है। इससे न सिर्फ आम आदमी को सहूलियत मिलती है, बल्कि सरकार को भी टैक्स संग्रहण में पारदर्शिता और सटीकता मिलती है।